नई दिल्ली, जुलाई 1 -- Sawan 2025: भगवान शिव को यूं ही भोलेनाथ नहीं कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान शंकर एक लोटे जल के अभिषेक भर से ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्त के सभी दुख दूर कर देते हैं। आपने देखा होगा कि शिव जी के गले में नाग, एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में डमरू रहता है। भगवान शिव की जटा में गंगा और अर्ध चंद्रमा भी सुशोभित है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव के पास कहां से आए हाथों में डमरू व त्रिशूल और गले में नाग क्यों करते हैं धारण। पढ़ें सावन माह शुरू होने से पहले भगवान शिव से जुड़ी ये पौराणिक कथाएं- भगवान शिव को कैसे मिला त्रिशूल: पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मनाद से जब भगवान शिव प्रकट हुए तो उनके साथ रज, तम और सत यह तीनों गुण भी प्रकट हुए। इनके बीच सामंजस्य बनाए बगैर सृष्टि का संचालन मुश्किल था। इसलि...