वाराणसी, जुलाई 15 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। काशी की पावन धरती पर सावन के पहले सोमवार को एक ऐसी परंपरा निभाई गई जो न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि इतिहास और भक्ति का संगम भी है। काशी विश्वनाथ मंदिर में 50 हजार यादव बंधुओं ने भोलेनाथ का जलाभिषेक कर एक बार फिर अपनी अटूट श्रद्धा का परिचय दिया। डमरुओं के निनाद, भक्ति में डूबे भक्त और कंधों पर बड़े-बड़े कलशों में भरा गंगाजल। यह अद्भुत दृश्य देखने लायक था। 1932 से चली आ रही परंपरा अब भी उतनी ही जीवंत और प्रेरणादायक दिखी। काशी के यदुवंशी समाज ने श्रीकाशी विश्वनाथ के ज्योतिर्लिंग सहित बाबा के अन्य प्रमुख स्वयंभू विग्रहों का जलाभिषेक करने की परंपरा का निर्वाह किया। प्रात: सात बजे से पूर्वाह्न 11 बजे तक सोनारपुरा से दशाश्वमेध के बीच यदुवंशियों का रेला ही नजर आ रहा था। इस समूह में कई डमरूदल भी शा...