चेन्नई, मार्च 19 -- मद्रास हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अगर कोई बेटा-बहू, बेटी-दामाद, या कोई भी रिश्तेदार या कोई भी ऐसा शख्स जिसे किसी बुजुर्ग ने अपनी संपत्ति उपहार में रजिस्ट्री कर दी हो या सेटलमेंट के तौर पर रजिस्ट्री कर दी हो और बाद में उसकी देखभाल नहीं करता हो तो सीनियर सिटिजन कभी भी उस डीड को रद्द कर सकते हैं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि डीड में इस बात का स्पष्ट उल्लेख नहीं हो तब भी डीड रद्द हो सकता है। जस्टिस एस एम सुब्रमण्यम और जस्टिस के राजशेखर की खंडपीठ ने हाल ही में मृतक एस नागलक्ष्मी की बहू एस माला द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया। दरअसल, नागलक्ष्मी ने अपने बेटे केशवन के पक्ष में एक सेटलमेंट डीड पर दस्तखत किया था, इस उम्मीद के साथ कि वह और उनकी बहू एस माला उनके जीवनकाल तक उनकी देखभाल करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो स...