सीवान, मार्च 19 -- हसनपुरा, एक संवाददाता। रोजा एक महत्वपूर्ण इबादत है। वहीं रमजान रहमत और मगफिरत (माफी) का महीना होता है। जो लोगों को अपने गुनाहों से तौबा करने का अवसर प्रदान करता है। इसको देखते हुए डॉ महेंद्र कुमार विगत चार वर्षों से रमजान में रोजे रख अपनी मां की सेहत और समाज में समरसता और सद्भावना के लिए प्रार्थना करते हैं। डॉ महेंद्र ने बताया कि रोजा रखने का उद्देश्य केवल भूख और प्यास सहना नहीं है, बल्कि यह गरीबों के दर्द को महसूस करने और उनकी मदद करने की सीख भी देता है। इस बार रमजान माह के सभी रोजे रख अपनी मां के लिए प्रार्थना की है। यहां तक कि होली के दिन भी पूरे दिन जुम्मा का रोज़ा रखा तत्पश्चात शाम सवा छः बजे नमाज़ के बाद रोज़ा खोल होली की खुशियां मनाई। उन्होंने यह भी कहा कि उनको रोजा रखने में अपनी सेहत पर भी कई तरह से शारीरिक फायद...