सुल्तानपुर, मार्च 15 -- सुलतानपुर। साहित्य अपने समय की समस्याओं का समाधान सुझाता है, वह बड़ा साहित्य हो सकता है । पर, जो साहित्य अपने समय के सवाल खड़े करता है, वह सार्थक साहित्य होता है। ये बातें अनिल कुमार श्रीवास्तव की प्रकाशित काव्यकृति'' रूप तुम्हारा - दरपन मेरा'' के विमोचन - समारोह में अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार कमलनयन पाण्डेय ने कही। कहा, कवि अनिल कुमार श्रीवास्तव सार्थक साहित्य - सृजन के पथिक हैं। समारोह में मुख्य अतिथि प्रो. रामजी तिवारी ने काव्य - परंपरा का विवेचन करते हुए बताया कि अनिल की कविताएं बहुस्पर्शी हैं। इनकी कविताएं ज्वलंत मुद्दों को उभारती हैं। विशिष्ट अतिथि प्रो. राधेश्याम सिंह ने कहा कि अनिल एक संभावनाशील कवि हैं। डा. ओंकारनाथ द्विवेदी ने कहा, अनिल कुमार की कविताओं में अपने अपने समय का स्वर सुनाई पड़ता है। द्वितीय सत्...