प्रयागराज, अक्टूबर 2 -- प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता को आई चोट अपराध स्थापित करने के लिए साक्ष्य के रूप में जरूरी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि बहुत संभव है कि पीड़िता ने डर के कारण विरोध न किया हो या शराब या अन्य किसी नशीली दवा के प्रभाव में बेहोश हो और प्रतिरोध करने में असमर्थ हो। कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ अभियुक्त इरफान उर्फ गोलू की दोषसिद्धि बरकरार रखी है। साथ ही तीन अन्य को संदे का लाभ देते हुए उनकी दोषसिद्धि निरस्त कर दी। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता शराब पीने के लिए मजबूर किए जाने और फिर रातभर चार लोगों द्वारा दुष्कर्म करने संबंधी बयान पर अडिग रही। महोबा के चरखारी थाने में 13 जनवरी 2015 को दर्ज कराई गई एफआईआर में 15 वर्षीय पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसे शराब पीने ...
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