जमुई, दिसम्बर 22 -- झाझा,नि.सं. झाझा शहरी क्षेत्र में रैन बसेरों के नाम पर नप कार्यालय के पड़ोस में स्थित 50 बेड वाले आश्रय स्थल के अलावा जरूरतमंदों को दूसरा कोई भी रैन बसेरा नसीब नहीं है। यहां तक कि बीते जुलाई 21 में जमुई के तत्कालीन डीएम व संप्रति मुंगेर के प्रमंडलीय आयुक्त अवनीश कु.सिंह झाझा के रेफरल अस्पताल में एक रैन बसेरे के निर्माण का जो निर्देश दिया था, वह साढ़े चार सालों बाद भी परवान नहीं चढ़ पाया है। उपर से अफसोसजनक यह कि शहर से ले ग्रामीण हलकों तक में कंबल वितरण एवं सार्वजनिक स्थानों व चौक-चौराहों पर अलाव की व्यवस्था अब तक भी देखने को नहीं मिल पाई है। भला हो चंद सामाजिक संगठनों एवं समाजसेवियों का जिनके द्वारा गरीबों की सुध ली जा रही है। इस क्रम में बीते दिनों मारवाड़ी युवा मंच एवं उधर रेल पुलिस के एक कर्मी के अलावा चंद अन्य के द्वा...