देहरादून, मई 17 -- श्री सनातन धर्म सभा गीता भवन राजा रोड में चल रही शिव के भक्त राम, राम के भक्त शिव विषयक आध्यात्मिक प्रवचन में संत मैथिलीशरण महाराज ने छठें दिन की कथा में कहा कि शिव-पार्वती के पुन: श्रद्धा और विश्वास रूप का मिलन करके विवेक के रूप में गणेश और पुरुषार्थ के रूप में स्वामि कार्तिक की उत्पत्ति हुई। उन्होंने कहा कि समाज कल्याण के लिए भगवान श्री राम ने शंकर जी के साथ अपने सारे सम्बन्धों उपयोग किया। भगवान की इसी योजना के परिणाम स्वरूप स्वामिकार्तिक का जन्म हुआ और तारकासुर का वध संभव हुआ। यदि भगवान शंकर जी विवाह न करते तो तारकासुर का वध नहीं हो सकता था। क्योंकि उसको वरदान प्राप्त था कि, उसकी मृत्यु केवल शिव के शरीर से उत्पन्न पुत्र से ही हो सकती है। शंकर जी समर्थ हैं, सर्वज्ञ हैं, सभी कलाओं के ज्ञाता हैं तथा योग ज्ञान और बैराग्य...