वाराणसी, अगस्त 2 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। कबीरदास, रैदास, रामानंदाचार्य जैसी दिव्य विभूतियों की नगरी है काशी। यहां बाबा विश्वनाथ, कालभैरव, संकटमोचन हनुमान साक्षात विराजते हैं। जगतगुरु रामानंदाचार्य ने 'जाति-पाति पूछे नहीं कोई, हरि को भजै सो हरि का होई जैसे विचार इसी धरती से दिए। आज भी साधक समाज इसी उक्ति में आस्था व्यक्त करते हुए काशी में दिव्य अनुष्ठान संपादित कर रहा है। ये बातें मंगलपीठाधीश्वर माधवाचार्य महाराज ने शुक्रवार को कहीं। वह अस्सी स्थित श्रीराम जानकी मठ में हो रहे सवा ग्यारह लाख चिंतामणि पार्थिव शिवलिंग पूजन एवं महारुद्राभिषेक अनुष्ठान के दूसरे दिन प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि साधक सिर्फ साधक होता है। उसकी जाति से उसकी साधना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। देशभर से जुटे संत यहां सिर्फ संत की दृष्टि से ही देखे जा रहे हैं। यह...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.