नई दिल्ली, नवम्बर 6 -- दिल्ली उच्च न्यायालय ने हिंदू विवाह की मान्यता को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने साफ कर दिया कि यदि किसी हिंदू शादी में सप्तपदी यानी सात फेरे की रस्म पूरी न भी हो, तो भी वह विवाह अपने आप में अवैध नहीं माना जाएगा। परंपरागत रूप से सात फेरे को हिंदू विवाह का सबसे अहम हिस्सा माना जाता है, लेकिन कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम में हर स्थिति में सप्तपदी को अनिवार्य शर्त नहीं बताया गया है।बंजारा समुदाय की शादी पर भी लागू होगा हिंदू विवाह अधिनियम यह फैसला न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने सुनाया है। यह फैसला उस मामले में आया, जिसमें पति ने पत्नी की तलाक अर्जी को चुनौती देते हुए कहा कि वे बंजारा (लंबाडा) जनजाति से हैं, जो अनुसूचित जनजाति में आती है। ऐसे में हिंदू विवाह अधिनियम ...