दिल्ली, मई 15 -- दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक निजी स्कूल को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि उसे सातवें वेतन आयोग के हिसाब से स्कूल शिक्षिका को उनकी बकाया तनख्वाह का भुगतान करना होगा। निजी स्कूल आर्थिक तंगी का हवाला लेकर उच्च न्यायालय पहुंचा था। न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि आर्थिक तंगी बताकर किसी का हक नहीं मारा जा सकता। सातवें वेतन आयोग के मुताबिक याचिकाकर्ता को तनख्वाह पाने का अधिकार है। इसके लिए स्कूल को व्यवस्था करनी होगी। खंडपीठ ने यह भी कहा कि एकलपीठ ने पहले ही स्पष्ट कर दिया गया था कि स्कूल भुगतान से किसी भी आधार पर नहीं बच सकता। पहले ही निजी स्कूल को उसकी दलील के मुताबिक शिक्षिका की बकाया रकम भुगतान का सरल तरीका बताया गया था, लेकिन स्कूल ने इसे नजरअंदाज कर एकलपीठ के आदेश को खंड...