नई दिल्ली, अक्टूबर 31 -- नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम के तहत एक बहू का साझा घर में रहने का अधिकार स्थायी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इस अधिकार को सास-ससुर की स्वयं अर्जित संपत्ति में शांति और सम्मान के साथ रहने के हक के साथ संतुलित किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए एक महिला की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें वह अपने ससुराल वालों की संपत्ति में रहने का अधिकार मांग रही थी। कोर्ट ने कहा कि बहू को वैकल्पिक आवास का अधिकार जरूर है, लेकिन वह अधिकार स्वामित्व का नहीं बल्कि केवल निवास का है। कोर्ट ने कहा कि कानून का उद्देश्य सुरक्षा और शांति दोनों को बनाए रखना है। कोर्...