मुजफ्फरपुर, अगस्त 6 -- मुजफ्फरपुर। वाद्य यंत्रों की मरम्मत करने वाले कारीगरों को आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिक वाद्य यंत्रों के आ जाने से काम नहीं मिल पा रहा है। अगर मिलता भी है तो मेहनताना काफी कम होता है। ऐसे में साज-ओ-संगीत के बिगड़े सुर को ठीक करने वाले ये कारीगर अपने पारंपरिक काम से दूर होते जा रहे हैं। शहर के विभिन्न हिस्सों में फैले इन कारीगरों के हुनरमंद हाथ अब दूसरे काम ढूंढ़ रहे हैं। अपने पुश्तैनी पेशे को बचाने के लिए ये बैंक से लोन लेकर कुछ नया करना चाहते हैं, लेकिन वहां से भी मदद नहीं मिल रही है। इनका कहना है कि सरकार अगर वाद्य यंत्रों के बनाने व मरम्मत की कला को सहेजने के लिए सार्थक कदम उठाए तो वे भी खुशहाल जीवन जी सकेंगे। शहर के पुरानी गुदरी इलाके से सटी बस्ती चतुर्भुज स्थान की एक संकरी गली में वाद्य यंत्रों की मरम्मत कर...