मुंबई।, दिसम्बर 25 -- महाराष्ट्र की राजनीति में बिखरते दल, घटती साख और अलग-थलग पड़ने के संकट से जूझ रहे ठाकरे बंधुओं ने आखिरकर साथ आने का फैसला किया है। दोनों के साथ आने से राज्य में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। हालांकि यह महा नगर पालिकाओं के चुनाव नतीजों से ही साफ हो पाएगा। कांग्रेस के साथ न आने से एकजुटता कितनी प्रभावी होगी, इस पर भी सवाल है। दूसरी तरफ भाजपा फिलहाल इससे ज्यादा परेशान नहीं, पर यह एकजुटता लंबी चली तो उसे भी अपनी रणनीति बदलनी पड़ सकती है। मुंबई समेत महाराष्ट्र की महानगर पालिकाओं के चुनावों के लिए उद्धव के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे के नेतृत्व वाली मनसे ने साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इस मौके पर दल ही साथ खड़े नहीं हुए, बल्कि दोनों परिवार एक साथ आए। दोनों नेताओं की पत्नियां, बेटे का साथ होना घटती पारिव...