जमशेदपुर, सितम्बर 26 -- बंगाली समाज में दुर्गापूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और सामाजिक उत्सव भी है। जमशेदपुर के साकची स्थित दुर्गाबाड़ी इसका सबसे जीवंत उदाहरण है, जहां 1923 से लगातार पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है। यहां की पूजा विशुद्ध सिद्धांत पंजिका मत के अनुसार होती है, जो इसे विशिष्ट पहचान प्रदान करती है। दुर्गाबाड़ी का आकर्षण केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यहां पूजा का हर पहलू बंगाली समाज की परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। देवी दुर्गा की प्रतिमा को पारंपरिक डाकेर साज से सजाया जाता है। इस अनूठे शृंगार में चमकीली सजावट और हस्तनिर्मित अलंकरण शामिल होते हैं, जो प्रतिमा की भव्यता को और बढ़ाते हैं। पूजा के दौरान भोग वितरण भी इसकी खास परंपरा है। सप्तमी से शुरू होकर...
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