प्रयागराज, अगस्त 29 -- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि विवाह पंजीकृत नहीं है और दोनों पक्ष उसके अस्तित्व को स्वीकार करते हैं तो हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत आपसी सहमति से तलाक की कार्यवाही में ट्रायल कोर्ट विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र जमा करने के लिए जोर नहीं दे सकता। इसी के साथ न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम ने आजमगढ़ की फैमिली कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें प्रमाण पत्र दाखिल करने की आवश्यकता से छूट देने की याचिका खारिज कर दी गई थी। इस मामले में पति और पत्नी ने 23 अक्टूबर 2024 को हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 (B) के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए संयुक्त रूप से याचिका की थी। कार्यवाही के दौरान फैमिली कोर्ट ने पक्षकारों को विवाह प्रमाण पत्र दाखिल करने का आदेश दिया। याची ने पत्नी के समर्थन से एक अर्जी देक...