रायपुर, जुलाई 8 -- छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने हाल ही में 12 साल पुराने वैवाहिक आत्महत्या के एक मामले में एक व्यक्ति और उसके पिता को बरी कर दिया। कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि शादी में सामान्य झगड़े और अपमानजनक टिप्पणियां आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं मानी जा सकतीं, जब तक कि कोई असाधारण उकसावा या लगातार क्रूरता न हो। यह मामला कमल कुमार साहू और उनके पिता कलीराम साहू द्वारा दायर एक अपील से जुड़ा था। रायपुर की एक सत्र अदालत ने 2016 में उन्हें कमल की पत्नी, सुनीता साहू को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराया था। निचली अदालत ने दोनों को आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) को धारा 34 (सामान्य इरादा) के साथ पढ़ते हुए सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। सुनीता की मृत्यु 5 जनवरी, 2014 को अपने ससुराल में गंभीर रूप से जलने के कारण हुई थी। उस...
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