प्रयागराज, दिसम्बर 31 -- प्रयागराज, हिन्दुस्तान टीम। कड़ाके की ठंड ने शहर की चमक-दमक के पीछे छिपी उस हकीकत को उजागर कर दिया है, जहां रोज कमाने-खाने वाले मेहनतकश जिंदगी की सबसे कठिन लड़ाई लड़ रहे हैं। जिन हाथों की मेहनत से इमारतें खड़ी होती हैं और शहर की रफ्तार चलती है, वही हाथ आज काम की तलाश में खाली हैं। दिहाड़ी मजदूरों के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब काम ही न मिले तो इस सर्द मौसम में उनके और उनके परिवार के पेट की आग आखिर कैसे बुझे। हर सुबह शहर के चौक-चौराहों और मजदूर मंडियों में सैकड़ों मजदूर काम की उम्मीद लेकर जुटते हैं। कोई फावड़ा-तसला लिए खड़ा होता है तो कोई मजदूरी के औजार कंधे पर टांगे रहता है। घंटों इंतजार के बाद भी जब काम नहीं मिलता तो मायूस चेहरों के साथ वे लौट जाते हैं। अमूमन ऐसा नहीं होता कि इतनी बड़ी संख्या में मजदूरों को...