संभल, मई 30 -- हड्डी-सींग, लकड़ी और रेजिन से बने हैंडीक्राफ्ट उत्पादों के लिए दुनिया भर में मशहूर सरायतरीन की पहचान भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो, लेकिन यहां काम करने वाले कारीगर और मजदूर अब भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। लगभग 5 हजार कारीगर और 15 हजार मजदूरों की मेहनत से सजी ये इंडस्ट्री, सरकार की ओडीओपी जैसी योजनाओं से लाभ पाने की राह तक रही है। इन यूनिटों में कार्यरत कारीगर न तो श्रम विभाग की किसी योजना में पंजीकृत हैं और न ही उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा मिलती है। हर दिन धूल-धुएं के बीच घंटों काम करने के बावजूद उन्हें न बीमा और न ही स्वास्थ्य सेवाएं और सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध है। कारीगरों का कहना है कि अगर सरकार ओडीओपी जैसी योजनाओं में इन कारीगरों को संगठित तरीके से जोड़े और स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ दे, तो उनका जीवन और बेहतर ...
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