ललितपुर, फरवरी 5 -- तालबेहट। संस्कृत नहीं जानने और समझने वाले लोग श्रीमद्भागवत महापुराण ग्रंथ के भाव और मर्म को आसानी से समझ सकेंगे। कस्बा निवासी पंडित रामसेवक पाठक हरिकिंकर ने इसको अनुवादित करके श्रीमद्भागवत रसम अमृत कृति तैयार की है। नामचीन विद्वानों ने जिसका आनलाइन विमोचन किया और इस कृति को समाज के लिए बेहद उपयोगी बताया। बुंदेलखंड स्थित अतिपिछड़े जनपद ललितपुर के तालबेहट निवासी प्रख्यात कवि एवं साहित्यकार डा. रामसेवक पाठक हरीकिंकर ने अथक प्रयासों से महाकाव्य श्रीमद्भागवत रसम अमृत का द्वितीय संस्करण तैयार किया। जिसका आनलाइन विमोचन इंदौर की साहित्यिक संस्था अखण्ड संडे के तत्वावधान में हुआ। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि संस्कृत विश्वविद्यालय उज्जैन के पूर्व कुलपति पण्डित मिथिला प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि यह ग्रंथ तुलसी रचित रामचरितमानस ग्रंथ की तर...