लखनऊ, अगस्त 3 -- घाटे की वजह से पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया के बीच खुलासा हुआ है कि बिजली कंपनियों का सरकारी बकाया ही 15,569 करोड़ रुपये है। यह रकम सरकारी विभागों, प्रदेश के सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम के कार्यालयों और स्थानीय निकायों पर बकाया है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा कि बिजली कंपनियों पर जितना घाटा बताया जा रहा है, उससे ज्यादा का बिजली बिल ही वसूला जाना बाकी है। अगर सरकारी बकाया मिल जाए और बाकी बिल वसूले जा सकें तो बिजली कंपनियां मुनाफे में आ जाएंगी। सबसे ज्यादा सरकारी बकाया उन्हीं बिजली कंपनियों का है, जिनके निजीकरण की तैयारी है। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में 5,398 करोड़ रुपये का बिजली बिल सरकारी विभागों ने अदा नहीं किया है। पूर्वांचल में 3,193 करोड़ रुपये का बिजली बिल सरकारी विभाग ...
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