नई दिल्ली, नवम्बर 18 -- पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू लालित ने एकम न्याय सम्मेलन में पुलिस और न्याय व्यवस्था की खामियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देश के जांच अधिकारियों को न तो सही पेशेवर उपकरण मिले हैं और न ही जरूरी शिक्षा, जिसके वे हकदार हैं। प्रकाश सिंह मामले के फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने दोहराया कि जांच विंग को कानून-व्यवस्था शाखा से पूरी तरह अलग करना जरूरी है। जस्टिस लालित ने चिंता जताई कि देश में दोषसिद्धि दर कभी 20 प्रतिशत से अधिक नहीं रही। 5 में से 4 विचाराधीन कैदी अंततः बरी हो जाते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हम निर्दोष लोगों को हिरासत में लेकर उनकी जिंदगी बर्बाद नहीं कर रहे? क्या समाज का यह कर्तव्य नहीं कि निर्दोषों को जीवनभर की परेशानी से बचाया जाए और उन्हें कानूनी-नैतिक हक दिलाया जाए? यह भी पढ़ें- SIR में न...
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