बिहारशरीफ, जुलाई 14 -- समाज और संवेदना से ही बहुरंगी बनता है साहित्य आज का साहित्य भविष्य के लिए नींव का करता है काम नवोत्साह साहित्य संगम में रचानाकारों ने की साहित्यिक परिचर्चा कवि गोष्ठी में मगही कविताओं पर लोगों ने लगए ठहाके फोटो : साहित्य संगम : बिहारशरीफ में नवोत्साह साहित्य संगम में शामिल रचनाकार सुबोध कुमार व अन्य। बिहारशरीफ, निज संवाददाता। समाज और संवेदना से ही साहित्य बहुरंगी बनता है। साहित्य सिर्फ एक रचनाभर नहीं है, बल्कि,आज का साहित्य भविष्य के लिए नींव तैयार करता है। बिहारशरीफ में नवोत्साह साहित्य संगम में साहित्यिक परिचर्चा के दौरान रचनाकार सुबोध कुमार ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि आज के डिजिटल युग में युवा पीढ़ियां पुस्तकों से दूर होती जा रही है। वे रिल की दुनिया में जी रहे हैं। उन्हें रील (कल्पना) नहीं रियल (वास्तविक) क...
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