गिरडीह, जून 1 -- गिरिडीह, प्रतिनिधि। कबीर ज्ञान मंदिर में सदगुरु मां ज्ञान ने कहा कि सभी प्राणियों के पीछे एक विद्युत शरीर मतलब एक ऊर्जापुंज होता है। हमलोगों के शरीर के पीछे भी एक ऊर्जापुंज है। उसे आप विद्युत शरीर कह सकते हो। हमने जिन-जिन संस्कारों को बटोरा है, वे इस ऊर्जा शरीर में धूल कणों की तरह झिलमिलाते रहते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे धूप जब किसी खपरैल घर के छप्पर पर पड़ती है, तब छप्पर के छिद्रों से सूर्य की रोशनी गोल-गोल धरती पर गिरती है। उस आती हुई रोशनी में अगणित महीन-महीन धूलकण चमकते हैं। वैसे ही हम सबके स्थूल शरीर के पीछे अवस्थित विद्युत शरीर में हमारे कर्म, संस्कार व आदतों के धूलकण भरे हुए होते हैं। मलिन संस्कारों की बहुलता के कारण सामान्य लोगों का विद्युत शरीर मटमैला होता है। जैसे-जैसे व्यक्ति अपने कुसंस्कारों को निर्मूल करता जा...
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