लखनऊ, अप्रैल 23 -- हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार से पूछा है कि प्रदेश में दीवानी और आपराधिक मुकदमों की तेजी से सुनवाई के लिए आवश्यक 9149 अदालतों की स्थापना क्यों नहीं की जानी चाहिए। न्यायालय ने इस बात का भी स्पष्ट जवाब मांगा है कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गत 24 अप्रैल 2024 को लिये गए निर्णय के क्रम में प्रथम चरण में 2693 अदालतों की स्थापना के लिए क्या प्रयास किये गए हैं। न्यायालय ने कहा है कि इस सम्बंध में दो सप्ताह के भीतर प्रमुख सचिव न्याय या अपर मुख्य सचिव, वित्त हलफनामा प्रस्तुत करें। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 12 मई को नियत की है। यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने उक्त प्रकरण में स्वतः संज्ञान लेकर दर्ज की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि...