बगहा, दिसम्बर 29 -- वनदायिनी के रूप में पहचानी जाने वाली बांसी नदी आज अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। वर्षों से सफाई और संरक्षण के अभाव में यह नदी धीरे-धीरे सिकुड़ती जा रही है। नदी की सतह पर फैली जलकुंभी, प्लास्टिक कचरा, घरेलू अपशिष्ट और गाद ने इसके प्राकृतिक प्रवाह को लगभग बाधित कर दिया है। हालात यह हैं कि कई स्थानों पर नदी नाले जैसी दिखाई देने लगी है, जिससे स्थानीय लोगों में चिंता और आक्रोश दोनों बढ़ता जा रहा है। बांसी नदी के अधिकांश हिस्सों में जलकुंभी का व्यापक फैलाव देखने को मिल रहा है। जलकुंभी के कारण पानी का बहाव रुक गया है, जिससे नदी का पानी सड़ने लगा है। दुर्गंध के साथ मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बरसात के मौसम में यही जलकुंभी बाढ़ का कारण भी बन सकती है, क्योंकि पानी का निकास बाधित हो जाती है। स्था...