बांका, मार्च 11 -- बौंसी, निज संवाददाता। जिस पर्वत से समुंद्र मंथन हुआ और संसार को 14 रत्न मिले। उन्ही रत्नों में से एक अमृत की कुछ बुंदे जहां जहां गिरी वहां महाकुंभ लग रहा है। उस मंदार पर्वत से समुद्र मंथन हुआ वह की भूमि काफी पावन है। उक्त बातें गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने मंदार पहुचकर सोमवार को कही। श्री ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि जिस प्रकार से सूर्य का प्रकाश सदा के लिए बादलों से ढका नहीं रह सकता उसी प्रकार आज समय अनुकूल आया है बदलाव की बयार चली है। हमारे कई ऐतिहासिक पौराणिक जितने भी स्थल हैं वह कहीं न कहीं स्वयं को प्रकट कर रहे हैं। यहा पर कई दैवीय शक्तियां है। कहीं सौभाग्य कुंड है कहीं चकावर्त कुंड है, नरसिंह हैं शिखर पर भगवान शिव का प्रकट रुप है इतनी दिव्यताएं मंदार स्वयं में लिए हुए हैं। ऐसे समय में यहां आना हुआ जब ...