बरेली, अप्रैल 18 -- भगवान श्रीराम सनातन धर्म की आस्था के केंद्र बिंदु हैं। उनका आदर्शमयी जीवन संपूर्ण संसार को आकर्षित और प्रभावित करने वाला रहा है। चाहे बाल हो, वृद्ध हो या फिर युवा उनके पावन चरित्र से सभी प्रेरणा लेते हैं। आज भारतीय संस्कृति का निरंतर क्षरण हो रहा है जो कि एक चिंता का विषय है। कारण हम अपने अस्तित्व को, गौरवशाली इतिहास को और अपने पुरा वैभव को विस्मृत करते जा रहे हैं। ऐसे में हमें अपने पुरातन गौरव, महापुरुषों एवं उदात्त जीवन मूल्यों की ओर वापस लौटना होगा। वास्तव में आज के समय की यही मांग है। यह बात बाल रामायण के लेखक डॉ. दीपांकर गुप्त ने टीबरीनाथ संस्कृत महाविद्यालय की बाल सभा में विद्यार्थियों को पुरस्कृत करते हुए कही। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राचार्य पंडित बंशीधर पांडेय को सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया।
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