मुजफ्फर नगर, सितम्बर 18 -- मोरना। पौराणिक तीर्थ नगरी व भागवत उद्गम स्थली के प्रसिद्ध आश्रम हनुमत धाम में चल रही श्री मदभागवत कथा समापन अवसर पर रेवासा वृंदावन धाम से पधारे मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्र देवाचार्य महाराज ने परम् भक्ति से प्रभु की निकटता प्राप्त करने, सनातन परम्पराओं का विशेष सम्मान करने पर बल दिया। कथा व्यास राजेंद्र देवाचार्य ने कहा की भक्ति में ही शक्ति है। अंतःकरण शुद्ध हो तो भक्ति सरल बन जाएगी,जो अहंकार को शून्य कर देगी। जो संतोषी होता है उसे दरिद्र कहा जाता है,सुदामा को दरिद्र कहना पाप होगा। श्री कृष्ण सुदामा को ब्रह्म बंधु कह कर छाती से लगा लेते थे। भक्ति में निष्काम भाव और नियमों का पालन आवश्यक है। जैसे गोकर्ण की कृपा से सभी जीव उद्धारित हुए, वैसे ही श्रीमद्भागवत का श्रवण जीवन को परम आनंद प्रदान करता है। कथा सुनने से हृदय ...