लातेहार, जून 7 -- बेतला, प्रतिनिधि। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि को सनातनियों ने 36 घंटे का निर्जला उपवास रख भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की। शनिवार को परंपरागत तरीके से पारण (समापन) किया। ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने वाले उपासकों के सभी पाप भगवान विष्णु की कृपा से खत्म हो जाते हैं और उन्हें मुक्ति मिल जाती है। मृत्यु के बाद सीधे बैकुंठ धाम में स्थान मिल जाने से उन्हें पुनः किसी मां के कोख से जन्म नहीं होता है। जन्म-मरण के बंधन से छुटकारा मिल जाता है। इस बारे में सरईडीह शिवमंदिर पश्चिमी के पुजारी पंडित श्यामनाथ पाठक ने कहा कि जीवन के सभी पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए निर्जला एकादशी व्रत रखना बेहद जरूरी है। वहीं पुजारी ने महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम द्वारा निर्जला एकादशी व्रत रखे जाने की बात बताते कहा कि ज्येष्ठ...