पूर्णिया, फरवरी 20 -- बैसा, एक संवाददाता। प्रखंड क्षेत्र के मालोपाड़ा पंचायत के जगदल गांव में आयोजित भारत वर्षीय विराट संतमत सत्संग के 14 वें वार्षिक महाज्ञान यज्ञ सह साधु मेला का समापन हो गया। तीन दिवसीय इस सत्संग के समापन पर प्रवचन कर रहे आचार्य ब्रह्मऋषि शचिकांत स्वामीजी महाराज ने कहा कि सत्संग का मतलब ज्ञान प्राप्त करना है। सत्संग में जाने का मतलब मन को शुद्ध करना, व्यक्तित्व का विकास, ईश्वर की संगति पाना, आत्मिक विकास को बढ़ावा देना होता है। अच्छे लोगों की संगति ही सत्संग है। सत्संग का मुख्य उद्देश्य ही जीवन को सत्मार्ग पर चलने के लिए सुधारना होता है। सत्संग में रहनेवाले सभी को कलयुग की तकलीफें नहीं होती है। उन्होंने कहा कि सत्संग का सबसे बड़ा लाभ ईश्वर की प्राप्ति व गुरु को पहचानना है जो हमें आध्यात्मिकता सिखाते हैं। सत्संग के प्रभाव...