फर्रुखाबाद कन्नौज, फरवरी 8 -- फर्रुखाबाद, संवाददाता। आर्य प्रतिनिधि सभा की ओर से मेला श्रीरामनगरिया में चल रहे वैदिक क्षेत्र में चरित्र निर्माण शिविर में प्रातःकाल यज्ञ किया गया। आचार्य चन्द्रदेव शास्त्री ने कहा कि शरीर की पवित्रता जल से होती है, मन की पवित्रता सत्य से होती है, बुद्धि की शुद्धि ज्ञान से होती है और आत्मा की पवित्रता विद्या और तप से होती है। यदि शरीर पर ध्यान दिया तो स्वास्थ्य बहुत अच्छा रहेगा, महाकवि कालिदास ने लिखा है कि -"शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनं" अर्थात शरीर ही धर्म का पहला और उत्तम साधन है, व शरीर ही धर्म को जानने का पहला साधन है। ईश्वर ने हमें साध्य की सिद्धि के लिए शरीर को साधन के रूप में दिया है। इसलिए शरीर रूपी साधन को स्वस्थ रखने के लिए मनुष्य को पुरुषार्थी होना चाहिए। मन की पवित्रता सत्याचरण से होती है। सत्य बोल...