मोतिहारी, फरवरी 8 -- केसरिया के सोनरापुर हनुमान मंदिर प्रांगण में आयोजित नवचंडी महायज्ञ के छठे दिन श्रीराम कथा के सरस कथावाचक विप्र ब्रजेश जी महाराज ने महायज्ञ श्री पार्वती जन्म की कथा सुनाते हुए कहा पार्वती जी के पूर्व जन्म का नाम सती है। सती मतलब संस्यात्मक बुद्धि। संस्यात्मक बुद्धि को जब तक योगाग्नि में नहीं जलाया जाता तब तक श्रद्धा रूपी पार्वती का जन्म नहीं होता है। जिसके बुद्धि में संशय, संकाये भरी होती है, उसे सत्य से अलग होना पड़ता है। सत्य उसका परित्याग कर देता है।श्रद्धा रूपी बुद्धि का नाम ही पार्वती है। जिसके जीवन में श्रद्धा है उसे ही सत्य की प्राप्ति होती है। कहा कि श्रीराम कथा का एक अर्थ यह भी है की सामाजिक स्तर पर हमारे सत्य सनातन धर्म के प्रति जिसकी बुद्धि में संशय भर गया हो, उस संशय को निकालकर सत्य श्रद्धा को स्थापित करना ह...