भागलपुर, जून 5 -- कजरैली। परमात्मा का दूसरा नाम सत्य है। सनातन का आधार सत्य पर आधारित है। मानव जीवन में चित्य रूप परमात्मा से संबंध जोड़ने से जीवन का आतंरिक अंधकार मिटता है। कलियुग में कर्म के विकृत स्वरूप से बचने के लिए नाम जप एकमात्र मार्ग है। अपनी चिंताओं को प्रभु के चरणों में समर्पित कर सत्य को अपने जीवन का आधार बनाकर आचरण में प्रविष्ट कर ले तो भगवत् प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। ये बातें लखानी पोखर पर चल रहे भागवत कथा के दौरान देवी राजनंदिनी ने कही।
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