गोंडा, जून 18 -- नवाबगंज, संवाददाता। कस्बे के गोला बाजार में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा में मंगलवार के रात कथाव्यास राधेश्याम शास्त्री ने कहा कि सत्य के अनुसंधान के दो मार्ग हैं, पहला परीक्षा करके दूसरा प्रतीक्षा करके। कहा कि विज्ञान परीक्षा का मार्ग है। धर्म और आध्यात्म प्रतीक्षा का मार्ग है। कथा को विस्तार देते हुए शास्त्री ने कहा की पूर्व के सभी शास्त्र, पुराण, धर्मग्रन्थ, नमस्कार से शुरू होते हैं। वह नमस्कार केवल औपचारिक नहीं है। वह केवल एक परंपरा और रीति नहीं है। अपितु वह संकेत है कि यह मार्ग समर्पण का है और जो विनम्र है, केवल वे ही उपलब्ध हो सकेंगे और जो आक्रमक है, अहंकार से भरे है, जो सत्य को भी छीन-झपटकर पाना चाहते है, जो सत्य के भी मालिक होने की आकांक्षा रखते है, जो परमात्मा के द्वार पर एक सैनिक की भांति पहुंचे हैं, विजय करने, वे ह...