लखीमपुरखीरी, मार्च 26 -- राम वाटिका धाम में चल रहे संत तुलसीदास महोत्सव में सुबह मंत्रोच्चार के बीच लोगों ने आहुतियां डालीं। वहीं रात में रासलीला में रासविहार, मयूर नृत्य के बाद सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र प्रसंग का मंचन किया गया। मंचन में दिखाया कि राजा हरिश्चंद्र सच बोलने और वचन पालन के लिए मशहूर थे। ऋषि विश्वामित्र ने राजा हरिश्चंद्र की परीक्षा लेने पहुंचे। राजा हरिश्चन्द्र ने अपना सारा राजपाट विश्वामित्र को दान में दे दिया है और उनकी दक्षिणा मे साठ भार सोना देने के लिए अपनी रानी व पुत्र के साथ काशी में बिकने के लिए गए। राजा हरिश्चंद्र ने खुद को जहां बेचा था वह श्मशान का चांडाल था जो शवदाह के लिए आए मृतक के परिजन से कर लेकर उन्हें अंतिम संस्कार करने देता था। एक दिन सर्प के काटने से इनके पुत्र की मृत्यु हो गयी तो पत्नी तारा अपने पुत्र को ...