गोपालगंज, अप्रैल 3 -- कुचायकोट। एक संवाददाता जिस प्रकार गंगा जहां-जहां प्रवाहित होती है, वहां का क्षेत्र पावन हो जाता है। ठीक उसी प्रकार जहां-जहां कथा रस की वर्षा होती है, वहां का वातावरण आलोकित हो जाता है। ये बातें भूपतिपुर बघउच दुर्गा मंदिर में आयोजित श्रीशतचंडी महायज्ञ के दौरान श्रीमद्भागवत कथावाचिका आराध्या दीदी ने कहीं। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा को कामधेनु कहा जाता है, जो मात्र सुनने से सभी सुख प्रदान करती है। हालांकि, कथा सत्संग का वास्तविक फल सत्कर्मों से ही मिलता है। बिना सत्संग के मनुष्य में विवेक जागृत नहीं होता, और जब विवेक जागृत होता है, तो भक्त भजन-कीर्तन में लीन हो जाते हैं। जितना विश्वास बढ़ता जाता है, श्रद्धा भी उतनी ही प्रगाढ़ होती जाती है। भगवत भक्ति भी श्रद्धा और विश्वास के समन्वय से ही प्राप्त होती है। जीवन में ...