मुजफ्फर नगर, सितम्बर 12 -- गांव लुहसाना के सीताराम मन्दिर में आयोजित श्रीराम कथा के द्वितीय दिवस पर आचार्य अभिषेक शुक्ल ने कहा कि बुद्धिमान व्यक्ति को निरन्तर स्वसंतान को सद्गुणों, सद्व्यवहारों, उत्कृष्ट आचरणों से समन्वित करना चाहिए। क्योंकि शीलसम्पन्न तथा नीतिज्ञ मानव ही सर्वत्र सम्मानित होते हैं। उत्तम चरित्र के मानव का सर्वत्र समादर होता है और परोपकार सर्वोत्तम सद्गुण है। परहित या परोपकार के सन्दर्भ में विचारणीय यह है कि दूसरों के अनैतिक या अनुचित स्वार्थों का साधन बनना अथवा पूर्ति करना परोपकार नहीं कहा जाएगा। वह धर्म न होकर के अधर्म होगा,जैसे परीक्षाकक्ष में परीक्षार्थी के द्वारा अनुकरण (नकल) करना अनुचित है। यदि कोई वहां पर उसे अनुकरण की ओर प्रवृत्त करे या उसके अनुकरण का साधन बने यह परीक्षार्थी का हित या उपकार नहीं है। अपितु उसका अहित...