शामली, जुलाई 23 -- श्री दिगंबर जैन साधु सेवा समिति द्वारा आयोजित मुनि विव्रत सागर महाराज ने ज्ञान की अमृत वर्षा करते हुए धर्म सभा में कहा कि हर जीव भगवान बनना चाहता है, केवल संसार में रहना नहीं। कहा कि जैन दर्शन के अनुसार भगवान बनने का मार्ग जन्म या कृपा से नहीं, बल्कि श्रावक (गृहस्थ) या श्रवण (मुनि) धर्म के सही पालन से संभव है। यह मार्ग सरल नहीं, बल्कि कठिन तप और कई भवों का परिणाम होता है। अक्सर हम अपनी पहचान दूसरों की राय पर बनाते हैं। अगर लोग कह दें कि हम श्रावक हैं, तो मान लेते हैं। पर सच्चा श्रावक वही है जो भीतर से जागरूक हो, न कि दिखावे से प्रेरित। दूसरों की सफलता, सुंदरता या संपत्ति देखकर अपनी खुशी या दुख तय करना ऐसा है। जैसे हम उनका रिमोट पकड़कर खुद को नियंत्रित कर रहे हों। हम शरीर और चेहरे की सज्जा पर ध्यान देते हैं, पर आत्मा की श...