हरिद्वार, मार्च 18 -- पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि संस्कृत को वह स्थान नहीं मिल पाया है, जो उसे मिलना चाहिए था। संस्कृत, भारतीय संस्कृति और सभ्यता ने पूरे विश्व में अपना लोहा मनवाया है। उन्होंने केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की ओर से पतंजलि विश्वविद्यालय में मंगलवार को पंच दिवसीय शास्त्रोत्सव की शुरुआत के दौरान यह बातें कही। कहा कि भारत की सभ्यता विश्व में सबसे पुरानी है, पतंजलि विश्वविद्यालय इसको प्रमाणों के आधार पर सिद्ध करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठता प्राप्त करने के लिए तप और पुरुषार्थ की आवश्यकता होती है, यह हमें संस्कृत ही सिखाती है। कहा कि यदि संस्कृत न होती तो पतंजलि विश्वविद्यालय का यह ढांचा नहीं हो पाता। संस्कृत में दुनिया की तकनीक को आसानी से समझने की क्षमता है।
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