नई दिल्ली, जून 11 -- प्रभात कुमार नई दिल्ली। देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने कहा कि 'भारतीय संविधान 'स्याही में उकेरी गई एक शांत क्रांति और 'एक परिवर्तनकारी शक्ति बताते हुए कहा कि यह न केवल लोगों को अधिकारों की गारंटी देता है बल्कि ऐतिहासिक रूप से उत्पीड़ित लोगों का सक्रिय रूप से उत्थान भी करता है। उन्होंने कहा कि 'भारत के सबसे कमजोर नागरिकों के लिए संविधान सिर्फ एक कानूनी चार्टर या राजनीतिक ढांचा नहीं है बल्कि यह एक भावना है, एक जीवन रेखा है, एक शांत क्रांति है जो स्याही में उकेरी गई है। सीजेआई गवई लंदन स्थित ऑक्सफोर्ड यूनियन में 'प्रतिनिधित्व से लेकर कार्यान्वयन तक: संविधान के वादे को मूर्त रूप देना विषय पर बोल रहे थे। भारतीय न्यायपालिका के सर्वोच्च न्यायिक पद (सीजेआई) को संभालने वाले दूसरे दलित और पहले बौद्ध सीजेआई ने हाशि...