लखनऊ, जुलाई 1 -- पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों की बिकवाली से पहले दोनों कंपनियों के संभावित राजस्व का आकलन ही नहीं किया गया है। दोनों कंपनियों को पांच कंपनियों में बांटकर 25 साल के लिए निजी हाथों में सौंपा जाना है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा कि विद्युत अधिनियम में निजीकरण के पहले संभावित राजस्व का आकलन करना अनिवार्य है। महज औद्योगिक समूहों को लाभ पहुंचाने की नीयत से संभावित राजस्व का आकलन नहीं किया गया है। परिषद ने कहा कि आयोग के चेयरमैन अरविंद कुमार के अवकाश से आते ही उनके सामने इस मसले पर लोक महत्व का प्रस्ताव सौंपा जाएगा। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि सरकार विद्युत अधिनियम की धारा-131, 132, 133 और 134 में दक्षिणांचल व पूर्वांचल के 42 जिलों में बिजली व्यवस्था का निजीकरण करवाना चाहती है। वा...
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