सिमडेगा, नवम्बर 4 -- सिमडेगा। रामरेखाधाम में लगभग सात दशक तक निवास करते हुए लोगों को धर्म के प्रति जागरुक करने वाले ब्रहालीन रामरेखा बाबा की कमी आज भी खलती है। ब्रहालीन रामरेखा बाबा एक अभिभावक की तरह लोगों की सेवा करते थे और यही कारण है कि जिले के जर्रे जर्रे में रामरेखा बाबा रस बस गए है। आडिसा राज्य के संबलपुर जिला स्थित कुलुंडी गांव में 28 अगस्त 1896 में जन्मे जयराम प्रपन्नाचार्य जी महाराज उर्फ ब्रहालीन रामरेखा बाबा किशोरावस्था में ही स्वाधिनता आंदोलन में भाग लिया था। वे सुभाषचंद्र बोस के आजाद हिंद सेना में भी शामिल होकर आजादी की लड़ाई लड़ी थी। सांसारिक मोह माया में मन नहीं लगने के कारण सन 1926 में वे एक वाम मार्गी साधू के साथ घर छोड़कर निकल पड़े और साधू संतो के साथ भ्रमण करते हुए 1935 में द्वारिकाधीश मंदिर पहुंचे। यहां रामानुज सम्प्रदा...