सहारनपुर, नवम्बर 3 -- जैन अतिथि भवन में चल रहे श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान के दौरान सोमवार को आचार्य श्री 108 अरूण सागर महाराज जी ने कहा कि संत मुक्ति की राह दिखाते हैं। अंबाला रोड स्थित जैन अतिथि भवन में मुनि श्री ने कहा कि मूर्छा शब्द बड़ा प्यारा है। मूर्छा का अर्थ मात्र बेहोशी ही नहीं अशांति भी होता है। आदमी मूर्छित हो जाता है, बेहोश हो जाता है। प्रेम में भी आदमी अपने होश हवास खो देता है। कामशक्ति में भी आदमी अपने होश हवास खो देता है। डॉक्टर मरीज को मुर्छित बेहोश करता है। तब तुम्हारे शरीर की शल्यक्रिया करता है। मवाद निकालता है। ऑपरेशन करता है और निरोगता प्रदान करता है। इसी प्रकार संत रूपी डॉक्टर मूर्छा में पडे सोये हुये मानव को जागृत करते हैं। श्रद्धारूपी क्लोरोफार्म के द्वारा संसार से मूर्छित करके उपचार करते है। जो श्रद्धा रूपी क्लो...