नई दिल्ली, अगस्त 4 -- हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। सावन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार पुत्रदा एकादशी वर्ष में दो बार आती है। एक सावन मास में तो दूसरे पौष मास में। यह दोनों व्रत संतान प्राप्ति और उनके कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। दोनों एकादशियां भगवान विष्णु की आराधना और संतान सुख की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। मान्यता है कि श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्यफल की प्राप्ति होती है। संतानहीन लोगों के लिए यह व्रत शुभफलदायी माना जाता है। इसके अलावा यदि संतान को किसी प्रकार का कष्ट है तो इस व्रत रखने से सारे कष्ट दूर होते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार महिष्मति नगरी के राजा सुकेतु...