जामताड़ा, जून 8 -- संचार क्रांति के दौर में बहुरूपिया कला हो रहा है गौण -बहुरूपिया मानिक कुमार वैद्य अपने वंश के होंगे अंतिम कलाकार। फतेहपुर,प्रतिनिधि। हाईटेक और संचार के इस दौर में बेहतरीन कला धीरे-धीरे विलुप्त होने के दौर पर है। दरअसल बात हो रही है बहरूपिया कला की,जो कई साल पहले तक जिंदा थी। लेकिन अब बहुरूपिये नहीं के बराबर दिखते हैं। हालांकि शनिवार को एक लंबे अंतराल बाद फतेहपुर बाजार में जल्लाद के रोल में एक बहरूपिए नजर आए, जो बाजार में घूम-घूम कर अपनी कला दिखा रहा है। ऐसे में कहा जा सकता है कि आने वाले समय में बहरूपिया विलुप्त होने की स्थिति में है। दिलचस्प बात यह है कि मोबाइल और हाईटेक संचार के कारण इस कला के कद्रदान अब नहीं है। पहले गांव देहात से लेकर हाट बाजारों में बहरूपिया आते थे और 12 दिनों तक विभिन्न रूपों का धारण कर मनोरंजन किय...