नई दिल्ली, मई 6 -- विश्व एथलेटिक्स दिवस कहते हैं प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। संसाधनों का अभाव हो या फिर शारीरिक सीमाएं, कोई भी बाधा उसे आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती। मेहनत, जज्बा और हौसले के दम पर मंजिल मिल ही जाती है। राजधानी के एथलीटों ने इसी विश्वास को अपने जीवन का मूलमंत्र बनाया है। किसी ने टूटी चप्पलों में दौड़ना शुरू किया, तो किसी ने व्हीलचेयर पर बैठकर उड़ने का सपना देखा। आज वही चेहरे देश का गौरव बन चुके हैं। विश्व एथलेटिक्स दिवस पर जानते हैं दिल्ली के कुछ सामान्य व पैरा एथलीटों की कहानी, जिनके लिए एथलेटिक्स सिर्फ खेल नहीं, बल्कि अपने सपनों को सच करने की जंग है। पेश है निखिल पाठक की रिपोर्ट। ------- ट्रैक पर रफ्तार से बातें करते हैं अमोज जैकब देश के तेजतर्रार धावक अमोज जैकब ट्रैक पर अपनी रफ्तार से ध्यान खींचते हैं। वह 400 मीटर औ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.