वाराणसी, दिसम्बर 7 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। काशी और तमिल का संगम अनादि काल से होता रहा है। बनारस शहर की पांच हजार वर्ष से अधिक समय से निर्बाध चली आ रही जीवनधारा इसकी गवाह है। यह शहर गंगा, घाटों, प्राचीन देवालयों और इमारतों का समूह मात्र नहीं है। अपितु यह बहुलतावाद की विस्तृत यात्रा है। काशी-तमिल की सांस्कृतिक एकता इसका पुष्ट प्रमाण है। ये बातें देश के वरिष्ठ सांस्कृतिक समीक्षक पं.अमिताभ भट्टाचार्य ने कहीं। वह रविवार को काशी तमिल संगमम् 4.0 के तहत बीएचयू के पं.ओंकारनाथ ठाकुर प्रेक्षागृह में आयोजित शैक्षणिक सत्र को संबोधित कर रहे थे। तमिलनाडु से आए लेखकों एवं मीडिया पेशेवरों के लिए आयोजित 'सांस्कृतिक निहितता और सभ्यतागत निरंतरताएं: काशी-तमिल संबंध' विषयक पैनल चर्चा में पं. भट्टाचार्य ने कहा कि काशीवासी अगस्त्य मुनि ने तमिल संस्कृति का स...