सीवान, जून 8 -- सीवान। सोना नदी गोपालगंज की ताल से निकलकर सीवान के जीरादेई सहित विभिन्न गांवों से होकर सरयू नदी में मिल जाती है। चार दशक पूर्व जल शुद्ध पेयजल स्रोतों का अभाव था, तब किनारे बसे गांवों के लिए यह नदी वरदान थी। आज से लगभग 26 सौ वर्ष पूर्व बौद्ध धर्म के जनक भगवान बुद्ध का परिनिर्वाण इसी नदी के निकट हुआ था, तब इसका नाम हिरण्यवती था। चूंकि हिरण्य का अर्थ सोना होता है। इसलिए बाद में लोग इसे सोना कहने लगे। अंग्रेजों ने इसे गोल्डेन रिवर कहा है। लेकिन, यह नदी अब अपना अस्तित्व खो चुकी है। कारण यह है कि वर्षो से तटवर्ती गांवों के लोगों द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण से भी इस नदी का आकार सिकुड़ता जा रहा है जो नदिया सालों भर बहा करती थी आज बरसात व नहर के पानी का इंतजार कर रही है। जब यह नदी अपनी अविरल धारा में बहती थी। तब लोग अपनी प्यास बुझाने...