वाराणसी, अप्रैल 13 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। श्रौत की परंपरा साक्षात वेद से आई है। यह प्राणिमात्र के कल्याण का कारक हैं। ये बातें महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष प्रो. हृदयरंजन शर्मा ने कहीं। वह रविवार को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित श्रौत गोष्ठी में मुख्य अतिथि थे। प्रो.शर्मा ने कहा कि श्रौत से न सिर्फ हमारी आत्मिक शुद्धि होती है अपितु यह पर्यावरण संरक्षण के लिए भी संजीवनी का कार्य करता है। वर्तमान वैश्विक परिस्थिति को देखते हुए इसकी उपयोगिता और अनिवार्यता दोनों बढ़ गई है। हमें आज की पीढ़ी को यह आभास कराना होगा कि श्रौत के बिना समाज और पर्यावरण को शुद्ध रखना बड़ा दुरूह है। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि आज दुनिया की स्थिति बहुत डरावनी है। चारों तरफ लाखों टन बारूद...